65 साल बाद दादा के हाथ ‘दादागिरी’

यह पैंसठ साल बाद हुआ है कि किसी क्रिकेट कप्तान को दुनिया के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। पिछले दशकों में विशुद्ध राजनीति, भाई-भतीजावाद और कदाचार इस जेंटलमैन खेल में व्याप्त हो गए थे। तमाम विसंगतियों को दूर करने के लिए सुप्रीमकोर्ट ने दखल दिया था। अब सुप्रीमकोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति का तैंतीस माह से चला आ रहा शासन खत्म हो गया है। गांगुली के लिये करने के लिये बहुत कु.......

किस पर करें विश्वास, सबने किया निराश

टोक्यो में कौन भारतीय एथलीट बनेगा सरताज? श्रीप्रकाश शुक्ला अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों को लेकर कयासी बाजार गर्माने लगा है। हर बार की तरह इस बार भी एक मिथक टूटने का इंतजार हर भारतीय खेलप्रेमी के मन में है। एथलेटिक्स की बात करें तो भारत ओलम्पिक खेलों में 100 साल से भी अधिक समय से सहभागिता कर रहा है लेकिन आज तक इस विधा में उ.......

खिलाड़ी दुनिया में मां भारती का गौरव बढ़ाएंः पूजा मिश्रा

भारतीय खेल पुरस्कार समिति द्वारा 77 खेल शख्सियतें सम्मानित श्रीप्रकाश शुक्ला नई दिल्ली। रविवार 20 अक्टूबर को नई दिल्ली के भारतीय संविधान क्लब में हुए गरिमामय समारोह में भारतीय खेल पुरस्कार समिति द्वारा देश के 16 राज्यों की 77 खेल शख्सियतों को उनकी विशेष खेल उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। समारोह में आठ उदीयमान खेल प्रतिभाओं को 10-10 हजार .......

क्रिकेट सल्तनत पर वंशवाद का दबदबा

श्रीप्रकाश शुक्ला दुनिया के सबसे अमीर खेल संगठन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की सल्तनत पर वंशवाद का काबिज होना हैरत की बात बेशक न हो, पर इससे खेल की अंतरात्मा जरूर आहत हो रही है। 23 अक्टूबर को होने जा रहे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के चुनाव से ठीक पहले राज्य इकाइयों के हो रहे चुनावों में एक-एक कर उन्हीं परिवार के लोग चुनकर आ रहे हैं जिनके चलते भद्रजनों की क्रिकेट कलंकित हुई है। छह साल पूर्व आईपीएल में हुए &.......

ओलम्पिक पदकधारी भारतीय खिलाड़ी बेटियां

कर्णम मल्लेश्वरी, साइना नेहवाल, मैरीकाम, साक्षी मलिक, पी.वी. सिन्धू और दीपा मलिक श्रीप्रकाश शुक्ला हर क्षेत्र की तरह भारतीय महिलाएं खेल के क्षेत्र में भी अपने पराक्रम और कौशल का जलवा दिखाती रही हैं। जहां तक खेलों के सबसे बड़े मंच ओलम्पिक में भारतीय महिलाओं के पदक जीतने की बात है अब तक छह भारतीय महिलाएं पोडियम तक पहुंची हैं। इनमें ओलम्पिक में पदक जीतने का.......

खेल शिखर पर भारतीय नारी शक्ति

श्रीप्रकाश शुक्ला पिछले कुछ महीनों में भारतीय खिलाड़ी बेटियों ने अपने स्वर्णिम कौशल से दुनिया भर में नारी शक्ति की जो झलक दिखाई है, उससे अगले साल जापान के टोक्यो शहर में होने जा रहे ओलम्पिक खेलों से एकाएक भारतीय खेलप्रेमियों का अनुराग जाग उठा है। जीत-हार खेल का हिस्सा है लेकिन भारतीय बेटियों की यह सफलता इसलिए मायने रखती है क्योंकि इनमें से अधिकांश बेटियां उन घरों से ताल्लुक रखती हैं, जिनके यहां बमुश्किल दो वक्त ही चूल्हा जलता है। शटलर पी.वी. सिन्धू और मानसी जोशी ने .......

उम्मीद जगाती मध्य प्रदेश की खिलाड़ी बेटियां

सरकार तथा समाज से और प्रोत्साहन की दरकार श्रीप्रकाश शुक्ला खेलों में मध्य प्रदेश बदल रहा है। बदलाव के इस दौर में हमारी खिलाड़ी बेटियां भी किसी से कम नहीं हैं। मध्य प्रदेश की खिलाड़ी बेटियां राष्ट्रीय फलक ही नहीं अंतरराष्ट्रीय खेल मंचों पर भी अपने पराक्रम का जोरदार आगाज कर रही हैं। कल तक जो खेल सिर्फ और सिर्फ पुरुष खिलाड़ियों की चहलकदमी के लिए जाने जाते थ.......

क्षितिज छूती मध्य प्रदेश की खिलाड़ी बेटियां

सरकार तथा समाज से और प्रोत्साहन की दरकार श्रीप्रकाश शुक्ला खेलों में मध्य प्रदेश बदल रहा है। बदलाव के इस दौर में हमारी खिलाड़ी बेटियां भी किसी से कम नहीं हैं। मध्य प्रदेश की खिलाड़ी बेटियां राष्ट्रीय फलक ही नहीं अंतरराष्ट्रीय खेल मंचों पर भी अपने पराक्रम का जोरदार आगाज कर रही हैं। कल तक जो खेल सिर्फ और सिर्फ पुरुष खिलाड़ियों की चहलकदमी के लिए जाने जाते थे उनमें न केवल मध्य प्रदेश की बेटियां दखल दे रही हैं बल्कि अपनी कामयाबी से मुल्क के गौर.......

भारतीय शूटरों के स्वर्णिम निशाने

क्रिकेट अब अकेला ऐसा खेल नहीं रहा, जिसमें हम विश्व स्तर पर बड़ी उम्मीद बांध सकते हैं। इन खेलों में निशानेबाजी पहले नंबर पर है। पहले हमारे निशानेबाज अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए जाया करते थे, लेकिन अब वे पदक, खासतौर से सोने के तमगे पर निशाना साधने के इरादे से जाते हैं। साल 2018 तक के पिछले 33 साल में हमारे निशानेबाज ऐसी स्पर्धाओं  में सिर्फ 12 गोल्ड मेडल जीत सके थे। लेकिन इस साल अब तक वे 16 गोल्ड सहित 22 पदकों पर निशाना साध चुके हैं। यह नई पीढ़ी के .......

स्वर्णिम शिखर पर भारतीय खिलाड़ी बेटियां

श्रीप्रकाश शुक्ला भारत को इस साल क्रिकेट विश्व कप में भले ही मायूसी हाथ लगी हो लेकिन अन्य खेलों में धुरंधर बेटियों ने विश्व विजेता बनकर देश को गौरवान्वित किया है। बेटियों का आर्थिक, मानसिक और शारीरिक चुनौतियों से उबरकर देश का नाम अंतरराष्ट्रीय खेल क्षितिज पर चमकाना निःसंदेह बड़ी बात है। सच कहें तो जमीं से उठकर फलक पर छाई इन युवा बेटियों ने अपने कौशल से देश में खेलों के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद जगाई है। पिछले कुछ महीनों में भारतीय खिलाड़ी बेटियों ने अपने स्वर्णिम कौश.......